उत्तराखंड पेयजल निगम के पास 5000 करोड़ से अधिक के कार्य लंबित, शीर्ष पद रिक्त कार्यों पर पड़ सकता है असर।

देहरादून- उत्तराखंड पेयजल निगम के पास जल जीवन मिशन, अमृत-2 समेत विभिन्न परियोजनाओं के पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत के कार्य हैं। जो अगले छह माह से एक वर्ष की अवधि में पूर्ण होने हैं। हालांकि, कार्य पूर्ण होने पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

पेयजल निगम के शीर्ष पद खाली हैं और एक जनवरी के बाद वरिष्ठतम अभियंताओं की कमी निगम में खल सकती है। 31 दिसंबर को प्रबंध निदेशक एससी जोशी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके बाद निगम में कोई मुख्य अभियंता न होने के कारण पद रिक्त रहेगा। साथ ही मुख्य अभियंताओं के पद भी अगले डेढ़ वर्ष से पूर्व नहीं भरे जा सकते।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अधीन आने वाले पेयजल निगम में वरिष्ठ अभियंताओं का टोटा हो गया है। आगामी 31 दिसंबर के बाद प्रबंध निदेशक एससी पंत सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जबकि, प्रबंध निदेशक के पद के लिए निगम में कोई भी अर्ह अभियंता नहीं है। हैरानी तो यह है कि निगम में अब तक कोई मुख्य अभियंता ही नहीं है, जिसे प्रबंध निदेशक बनाया जा सके।

प्रभारी व्यवस्था के तहत अधीक्षण अभियंता ही मुख्य अभियंता का कार्य संभाल रहे हैं। वर्तमान में निगम के सबसे वरिष्ठ अधीक्षण अभियंता को भी मुख्य अभियंता बनने के लिए जुलाई 2025 तक इंतजार करना होगा। ऐसे में केंद्र की जल जीवन मिशन समेत अन्य योजनाओं को ससमय गुणवत्ता के साथ धरातल पर उतारना बड़ी चुनौती नजर आ रहा है।

जल जीवन मिशन के 4,000 करोड़ के कार्य छह माह में पूरा करने का लक्ष्य

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जल जीवन मिशन के अंतर्गत 4,862 करोड़ के कुल 3,960 कार्य स्वीकृत हैं। इसमें 800 करोड़ के 1,687 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। शेष 2,273 कार्य जिनकी लागत 4,062 करोड़ है, निर्माणाधीन हैं। इन कार्यों को आगामी ग्रीष्मकाल तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। इनमें से 1,962 करोड़ का व्यय हो चुका है और शेष 2,900 करोड़ के कार्य जून 2024 तक पूर्ण किए जाने प्रस्तावित हैं

पीएमओ से निगरानी, 75 योजनाओं का कार्य 55 प्रतिशत शेष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शिलान्यास की गईं 1600 करोड़ की 75 योजनाओं का भी कार्य 55 प्रतिशत शेष है। इन कार्यों की लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय से निगरानी की जा रही है और तय समयसीमा में इन्हें पूर्ण करने का लक्ष्य है। इसके अलावा केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत-2 योजना के तहत भी उत्तराखंड में 300 करोड़ के कार्य होने हैं।

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