पूरे शहर को अराजकता की आग में जलाने की थी साजिश, उपद्रवियों के खतरनाक इरादों को भांपने में नाकाम रहीं खुफिया एजेंसियां।

हल्द्वानी- बनभूलपुरा में अराजक तत्वों के मंसूबे काफी खतरनाक थे। उनकी मंशा न सिर्फ पुलिसकर्मियों को घेरकर मारने की थी, बल्कि शहर को भी अराजकता की आग में जलाने की थी। इसी मंशा से बनभूलपुरा थाने को चारों ओर से घेरकर आग के हवाले किया गया और अंदर बैठे पुलिसकर्मियों पर पेट्रोल बम से हमला किया गया, ताकि वह बाहर न निकल सकें।

प्रशासन उनके खतरनाक इरादों को भांपने में पूरी तरह विफल रहा। वह तो गनीमत थी कि गांधीनगर के लोगों ने समय रहते मोर्चा संभाल लिया और पत्रकारों समेत सैकड़ों पुलिसकर्मियों को बचा लिया। जांच इस बात की भी चल रही है कि कहीं इसके पीछे किसी प्रतिबंधित संगठन का हाथ तो नहीं है।

जो कुछ भी हुआ, पहले से सुनियोजित था

नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना एवं एसएसपी प्रहलाद नारायण मीना ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि बनभूलपुरा में गुरुवार को जो कुछ भी हुआ, वह पहले से सुनियोजित था। उपद्रवियों ने महिलाओं और बच्चों को आगे कर दिया और स्वयं उनके पीछे से हमला करते रहे।

पुलिस अधिकारी घटनाक्रम की आशंका पहले से जता रहे थे

डीएम-एसएसपी के इस बयान के मायने काफी गंभीर हैं, लेकिन सवाल यह है कि खुफिया एजेंसियों को इस बात की भनक पहले क्यों नहीं लगीं। कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस घटनाक्रम की आशंका वह पहले से ही जता रहे थे, लेकिन प्रशासन ने कार्रवाई में इतनी जल्दबाजी कर दी कि उन्हें ठोस रणनीति बनाने का मौका ही नहीं मिला।

पुलिस-प्रशासन की टीम के बीच सामंजस्य का अभाव

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जब भी पुलिस इस प्रकार के किसी मिशन पर काम करती है तो सबसे पहले संबंधित क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में पूरी टीम को ब्रीफ किया जाता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पुलिस व प्रशासन की टीम के बीच सामंजस्य का घनघोर अभाव दिखा। यही वजह है कि जब पथराव शुरू हुआ तो पुलिसकर्मियों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि बचकर भागना किधर है। गनीमत रही कि किसी स्थानीय व्यक्ति ने पुलिसकर्मियों को गांधीनगर की ओर भागने का सुझाव दे दिया और गांधीनगर के लोग पुलिस को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए।

सीएम ने तत्काल सख्त कार्रवाई के आदेश दिए

गनीमत यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बगैर समय गंवाए मुख्य सचिव और डीजीपी को तत्काल सख्त कार्रवाई के आदेश दे दिए, जिसके बाद पुलिस आक्रामक भूमिका में आई और पुन: हिंसा प्रभावित क्षेत्र में घुसकर अपने अन्य सहयोगियों को बचाकर बाहर निकालने में सफल हो सकी।

इससे पहले चला था प्रदेश स्तर का अभियान, लेकिन नहीं हुआ कोई बवाल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर कुछ माह पूर्व ही पूरे प्रदेश में सरकारी भूमि पर बने धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का अभियान चला था। इसमें करीब तीन सौ मजारों को भी ध्वस्त किया गया, लेकिन कहीं भी बवाल जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि फरवरी प्रथम सप्ताह में ही पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को इस बात का इनपुट मिला था कि बनभूलपुरा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

उद्यमी के बेटे की शादी की रिसेप्शन रद्द

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हल्द्वानी में शुक्रवार को 15 से अधिक शादियां तय थीं। शहर के प्रमुख उद्यमी सुरेश पाल के बेटे की शादी के बाद शुक्रवार को पालम सिटी में रिसेप्शन कार्यक्रम रखा गया था। पिछले कुछ दिनों से परिवार तैयारियों में जुटा था, लेकिन कर्फ्यू की स्थिति को देख कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।

स्टेशन पर सन्नाटा, लोगों ने बुकिंग रद्द करवाई

कुमाऊं के सबसे बड़े बस स्टेशन हल्द्वानी से रोजाना सैकड़ों की संख्या में बसों का संचालन होता है, लेकिन कफ्र्यू के चक्कर की वजह से दिल्ली समेत अन्य मार्गों पर यात्रियों ने बुकिंग रद्द करवा दी। कई बसें ऐसी थीं कि उन्हें दो-चार सवारियां लेकर ही लंबे रूट पर भेजना पड़ा।

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