टीचरों को ट्रांसफर में राहत देने के लिए बनाई गई स्थानांतरण नीति अब अगले सत्र में होगी लागू, जानें क्यों हो रही है देरी।

देहरादून- उत्तराखंड में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए हरियाणा की भांति बनाई गई स्थानांतरण नीति अब अगले सत्र से ही क्रियान्वित होगी। इस नीति को अन्य विभागों के कार्मिकों पर लागू करने के बारे में निर्णय अभी उच्च स्तर पर विचाराधीन है। इस पर निर्णय होते ही शिक्षा विभाग इसके क्रियान्वयन की रूपरेखा को अंतिम रूप देगा।

प्रदेश सरकार ने हरियाणा की भांति शिक्षकों के स्थानांतरण की नीति तैयार की है। वर्तमान स्थानांतरण एक्ट में सुगम और दुर्गम कार्यस्थलों के निर्धारण की प्रक्रिया से शिक्षक संगठन संतुष्ट नहीं हैं। विशेष रूप से दुर्गम और अति दुर्गम में कार्यरत शिक्षक कार्यस्थलों के निर्धारण में भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदुओं को सम्मिलित करने पर बल देते रहे हैं।

इसे ध्यान में रखकर ही नई नीति का प्रारूप तैयार किया गया है। इस बीच यह भी निर्णय लिया गया कि शिक्षकों के लिए तैयार की गई इस नीति को अन्य विभागों में भी लागू करने के संबंध में कर्मचारी संगठनों से लिखित सुझाव लिए जाएं।

कार्मिक विभाग इस नीति पर अन्य कर्मचारी संगठनों से सुझाव आमंत्रित कर चुका है। आवश्यकता के अनुसार इन सुझावों के आधार पर नीति में संशोधन भी किया जा सकता है। नई नीति में सुगम और दुर्गम क्षेत्रों की श्रेणियों में परिवर्तन किया गया है।

यद्यपि प्रस्तावित नीति को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है। नई नीति के कई प्रविधानों को अच्छा मानने के बावजूद संगठन स्थानांतरण एक्ट को ही अधिक प्रभावी बनाने का समर्थन कर रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि नीति कभी एक्ट का स्थान नहीं ले सकती। नई नीति में दुर्गम व सुगम कार्यस्थलों की चार से पांच श्रेणियां निर्धारित किए जाने को वे प्रक्रिया को और जटिल बनाने के रूप में देख रहे हैं।

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फिलहाल कर्मचारी संगठनों के सुझावों के आधार पर नई नीति के संबंध में कार्मिक विभाग की ओर से मुख्य सचिव के समक्ष पुन: प्रस्तुतीकरण किया जाएगा।

इसके बाद इस नीति पर अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।इस संबंध में कार्मिक सचिव शैलेश बगोली का कहना है कि नई नीति शिक्षकों को केंद्र में रखकर बनाई गई है। नीति के क्रियान्वयन के संबंध में पहले शिक्षा विभाग को निर्णय लेना है।

वहीं शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षकों को स्थानांतरण में होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए हरियाणा की भांति नीति बनाई गई है। इस पर मंथन चल रहा है। अगले स्थानांतरण सत्र से इस नीति को क्रियान्वित किया जाएगा।

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