खुशखबरी, निशानेबाजी के लिए हो जाएं तैयार, प्रदेश में जल्द खुलेगा शूटिंग रेंज का द्वार।

देहरादून- महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में अक्तूबर तक अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेंज बन जाएगी।

ओलंपिक में निशानेबाजी में तीन पदक आने से उत्साहित खिलाड़ियों के लिए एक और खुशखबरी है। उत्तराखंड की पहली अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेंज देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में अक्तूबर तक बनकर तैयार हो जाएगी।

खेल निदेशालय के अनुसार, राज्य 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहा है। उससे पहले यह शूटिंग रेंज तैयार करने का टारगेट है। इसमें 10, 25 और 50 मीटर की तीन अलग-अलग रेंज तैयार हो रही हैं, जिनमें शूटिंग टारगेट, एचवीएसी (हीटिंग, वेंटिलेशन व एयर कंडीशनिंग सिस्टम), बैफल, फ्लोरिंग, फायर फाइटिंग, लिफ्ट, लाइटिंग का काम चल रहा है।

स्टेडियम में शूटिंग रेंज के लिए भवन निर्माण दिसंबर 2022 में पूरा हो गया था। उसके लोकार्पण के बाद से भवन में भूतल व पहली मंजिल पर अलग-अलग हिस्सों में तीन शूटिंग रेंज तैयार की जा रही हैं। हालांकि, ये कार्य बीते मार्च तक पूरा करने का टारगेट था, लेकिन चुनाव के चलते तीन महीने काम बिलकुल बंद रहा। मार्च से जून तक पूरा भवन चुनाव आयोग के पास रहा। अब फिर से रेंज तैयार करने का काम शुरू हुआ है।

रेंज में बैफल लगाने का काम पूरा
भवन निर्माण पर लगभग 31 करोड़ का खर्च आया था। वहीं अतिरिक्त कार्य (रेंज के भीतर के काम) पांच करोड़ के बजट से पूरे किए जा रहे हैं। कार्य से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि न सिर्फ निशानेबाजी के वेपन और गोलियां, बल्कि रेंज को तैयार करने का लगभग पूरा सामान इंपोर्ट होता है, इसलिए यह खेल और रेंज बनाना दोनों महंगे पड़ते हैं।

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इनमें एक रेंज में बैफल लगाने का काम पूरा हो चुका है। इसके अलावा एचवीएसी का कार्य किया जा रहा है, ताकि खिलाड़ियों को सर्दी-गर्मी में सामान्य तापमान मिले। मौजूदा समय में उत्तराखंड के खिलाड़ी प्राइवेट रेंज में प्रैक्टिस करते हैं, जो न सिर्फ बहुत महंगी पड़ती है, बल्कि उनमें पंखे के सहारे प्रैक्टिस करनी पड़ती है। यह सभी कार्य करीब पांच करोड़ की लागत से पूरे किए जा रहे हैं।

शूटिंग रेंज अंतरराष्ट्रीय मानकों पर तैयार हो रही है। रायपुर की सेंट्रल लोकेशन में होने से उत्तराखंड और आसपास के राज्यों के खिलाड़ियों को दूर-दराज स्थित शूटिंग रेंज जाना नहीं जाना पड़ेगा। राष्ट्रीय खेलों तक यह तैयार हो जाएगा। इससे और बेहतर खिलाड़ी तैयार हो सकेंगे।

जितेंद्र सोनकर, निदेशक, खेल निदेशालय

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