उत्तराखंड में अनुसूचित जाति-जनजाति वोट बैंक से कांग्रेस को बड़ी उम्मीद, इन्हीं के बूते ठोक रही ताल; क्या बदलेगा समीकरण।

देहरादून- प्रदेश में अनुसूचित जाति की 22 लाख और अनुसूचित जनजाति की 3.30 लाख से अधिक जनसंख्या 18वीं लोकसभा के चुनाव में राजनीतिक दलों का भाग्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है। ये मतदाता चुनाव की तस्वीर बदलने में सक्षम हैं। इनके खाते में कुल 70 विधानसभा सीट में से 15 और एक लोकसभा की सीट भी है।

लोकसभा चुनाव में दम ठोक रहा प्रत्येक राजनीतिक दल यह प्रयास कर रहा है कि 25 लाख से अधिक जनसंख्या वाले इन मतदाता समूहों को रिझाया जाए। कांग्रेस इन मतदाताओं को अपना पारंपरिक वोट बैंक मानती रही है। यह अलग बात है कि पर्वतीय जिलों में इस वोट बैंक पर भाजपा बड़ी सेंध लगाने में सफल रही है। लेकिन, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों में कांग्रेस ने वर्चस्व बनाए रखा है। पार्टी अब इन मतदाताओं के बूते लोकसभा चुनाव में भी अपनी स्थिति मजबूत करने में ताकत झोंक रही है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को साधने की तैयारी

प्रदेश में कुल मतदाताओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का प्रतिशत 18 प्रतिशत से अधिक है। विशेष यह है कि मतदान में ये समूह बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाते रहे हैं। उत्तराखंड राज्य गठन के इन 23 वर्षों में सामाजिक समीकरणों और इनके वोट बैंक की दृष्टि से परिस्थितियों में बड़ा परिवर्तन भी देखने को मिला है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, दोनों को ही कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता रहा है।

हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर का ऐसा रहा समीकरण

यद्यपि, मैदानी प्रकृति के दो जिलों हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में यह वोट बैंक बसपा और सपा से जुड़ा रहा है। सपा के हाशिये पर जाने के बाद और प्रदेश में कांग्रेस की मजबूत स्थिति को देखते हुए यह वोट बैंक पार्टी से जुड़ा है। पर्वतीय जिलों में कभी इस वोट बैंक पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा।

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वर्ष 2014 से राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदलीं और भाजपा ने इस वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई। इसके बाद दो विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। अब भी कुल 13 में से नौ सीट भाजपा के खाते में है। कांग्रेस के पास हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले की सभी चार सीटें हैं। यही नहीं, अनुसूचित जनजाति की दो सीट भी कांग्रेस के पास हैं। लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की बड़ी उम्मीद के केंद्र में मतदाताओं के यही समूह भी हैं।

हिस्सेदारी न्याय से लुभाने का प्रयास

कांग्रेस ने इन मतदाताओं में अपनी पैठ मजबूत बनाए रखने के लिए हिस्सेदारी न्याय के अंतर्गत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए वादों का पिटारा खोला है। इन समुदायों से जुड़े ठेकेदारों को अधिक अनुबंध देने के लिए सार्वजनिक खरीद नीति का दायरा बढ़ाने और विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति दोगुना, हर ब्लाक तक आवासीय विद्यालयों का विस्तार करने, आरक्षित रिक्त सभी पद भरने का वादा किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि हिस्सेदारी न्याय का बड़ा लाभ अनुसूचित जाति और जनजाति को मिलेगा।

प्रदेश में जिलेवार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट

थराली (चमोली), पुरोला (उत्तरकाशी), पौड़ी (पौड़ी), घनसाली (टिहरी), राजपुर रोड (देहरादून), ज्वालापुर, झबरेड़ा व भगवानपुर (हरिद्वार), बाजपुर (ऊधमसिंहनगर), नैनीताल (नैनीताल), सोमेश्वर (अल्मोड़ा) व गंगोलीहाट (पिथौरागढ़)

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित लोकसभा सीट

अल्मोड़ा (यह सीट भाजपा के पास है)

मैदानी जिलों में कांग्रेस के पास आरक्षित सीट

हरिद्वार जिले में भगवानपुर, झबरेड़ा और ज्वालापुर सीट।

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ऊधमसिंह नगर जिले में बाजपुर।

प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट

चकराता (देहरादून) और नानकमत्ता (ऊधमसिंहनगर) ये दोनों सीट कांग्रेस के पास हैं।

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