सावधान बेहद चुनौतीपूर्ण है यात्रा जल्दीबाजी न करें-समय निकाल कर आएं और इन बातों का रखें ध्यान।
देहरादून- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा पूर्ण रूप ले चुकी है। चारों धाम के उच्च हिमालयी क्षेत्र में समुद्रतल से तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित होने से यह यात्रा कई दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है। यहां मौसम पल-पल करवट बदलता है। आक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती। ऐसे में तबीयत बिगड़ने की आशंका बनी रहती है।
कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें
यदि, आप भी यात्रा पर आने की योजना बना रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें। सबसे महत्वपूर्ण यह कि यात्रा के लिए पर्याप्त समय (लगभग 10 दिन) निकालकर आएं। धामों तक पहुंचने की जल्दबाजी कतई न करें। पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम के साथ तालमेल बिठाने के लिए यात्रा पड़ावों पर कुछ समय अवश्य बिताएं।
यात्रा मार्ग पर हृदय रोग से सर्वाधिक मौतें होती हैं। इस साल भी यह सिलिसला थमा नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि बीमारी से ग्रसित और बुजुर्ग तीर्थयात्री स्वास्थ्य परीक्षण कराकर आएं। यात्रा पड़ावों पर भी डाक्टर से परामर्श लेते रहें और उनके सुझावों को टालें नहीं।
ठंड और थकावट को न करें अनदेखा
- दून मेडिकल कालेज के सीनियर कार्डियोलाजिस्ट डा. अमर उपाध्याय के अनुसार, विशेषकर यमुनोत्री व केदारनाथ में आक्सीजन की कमी और लगातार चढ़ाई से ब्लड प्रेशर अनियमित होने के साथ सांस लेने में दिक्कत आती है।
- लिहाजा, यात्रा पर जाने से पहले हर किसी को चिकित्सकीय परीक्षण करवाना चाहिए।
- उच्च हिमालयी क्षेत्र में दिल के मरीजों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए अत्याधिक धूमपान करने वाले, ज्यादा वजन वाले, बीपी व शुगर के मरीज और जिनके परिवार में कोई हृदय रोग से पीड़ित रहा है, ऐसे लोगों को यात्रा पर निकलने से पहले बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रोल व ट्रेडमिल टेस्ट कराना ही चाहिए।
- अत्याधिक ठंड, दवा लेने में लापरवाही, खाली पेट चढ़ाई और थकावट से समस्या बढ़ सकती है।
चढ़ाई में दिक्कत आए तो जबरन आगे न बढ़ें
- यमुनोत्री धाम में छह किमी और केदारनाथ धाम में 16 किमी लंबी खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
- ऐसे में रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगियों को परेशानी होती है।
- ऊपर से मौसम का उतार-चढ़ाव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
- जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) के वरिष्ठ फिजीशियन डा. प्रवीण पंवार का कहना है कि अगर चढ़ाई में दिक्कत आए, तो जबरन आगे बढ़ने की कोशिश न करें।
- डिहाइड्रेशन, शरीर में नमक और शुगर की कमी के कारण सामान्य व्यक्ति के हृदय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। चढ़ाई के दौरान लंबा आराम करें।
- दवाओं की इमरजेंसी किट भी साथ ले जाएं शुगर, सीने में दर्द, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर की शिकायत वाले लोग दवा साथ ले जाना न भूलें।
शरीर को मौसम के हिसाब से ढलने का समय दें
- दून मेडिकल कालेज के सीनियर पल्मोनोलाजिस्ट डा. अनुराग अग्रवाल के अनुसार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि कम समय में दर्शन करके वापस जाना चाहते हैं।
- इसमें हेलीकाप्टर से आने वालों की संख्या अधिक है। जब आप हेलीकाप्टर में बैठते हैं तो वहां का मौसम गर्म होता है और जब आप 11 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर केदारनाथ धाम पहुंचते हैं तो बहुत ज्यादा ठंड होती है।
- ऐसे में शरीर उस तापमान के अनुरूप नहीं ढल पाता और श्वास संबंधी दिक्कत होने लगती है।
- यही गलती पैदल मार्ग से आने वाले श्रद्धालु भी करते हैं। वह समय बचाने के लिए तेज चलते हैं, जिस कारण सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
- इसलिए जल्दबाजी न करें और शरीर को मौसम के हिसाब से ढलने का समय दें।
- पड़ावों पर समय बिताकर यात्रा आगे बढ़ाने से हृदयाघात या बीमार पड़ने का खतरा कम हो जाता है।
दिन-रात के तापमान में भारी अंतर
वर्तमान में गंगोत्री व यमुनोत्री में अधिकतम तापमान 15, जबकि न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है। केदारनाथ और बदरीनाथ में अधिकतम व न्यूनतम तापमान क्रमश: 12 व दो और 11 व तीन डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है।
इस स्थिति में तुरंत लें डाक्टर की सलाह
सांस फूलना, छाती में दर्द, दिल की धड़कन तेज होना, बेहोशी या चक्कर आना, मितली या उल्टी आना, सिरदर्द होना, घबराहट होना, हाथ पांव और होंठ नीले पड़ना।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- चिकित्सक से परामर्श लेने के दौरान कोई भी पुरानी बीमारी न छिपाएं।
- बुजुर्ग तीर्थयात्री पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चर या पालकी का उपयोग करें।
- यात्रा के दौरान शरीर को ढककर रखें और पसीना आने पर कपड़े न उतारें।
- पर्याप्त संख्या में गर्म कपड़े अपने पास रखें। बर्फबारी व वर्षा में भीगने से बचें।
- रात में खुले में न घूमें, अपने कमरे में ही रहें, पीने को गुनगुना पानी उपयोग करें।
- न तो खाली पेट यात्रा करें, न तला हुआ भोजन ही खाएं।